बच्चे बेहद नाजुक होते हैं। वयस्क की तुलना में बच्चों पर प्रदूषण का ज्यादा असर पड़ता है। प्रदूषण वेफ कारण उन्हें आसानी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो जाती हैं क्योंकि उनवेफ अंग पूर्णतः विकसित नहीं हुए होते तथा नाजुक होते हेैंµ भारत में पिछले 4-5 सालों में बच्चों में श्वास संबंध्ी समस्याएँ बढ़ी हंै। उसका कारण है कि उनवेफ पेफपफड़ों का संपूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है।
गर्भावस्था में प्रदूषण का असर
वायु प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं तथा उनवेफ गर्भ में पल रहे बच्चे पर बड़ा नकारात्मक असर पड़ता है। गर्भ में बच्चे का बड़ी तेजी वेफ साथ विकास होता है, लेकिन प्रदूषण इस विकास को अवरु( कर देता है। प्रदूषित पर्यावरण में रहने वाली गर्भवती महिलाओं वेफ पेट में पल रहे बच्चे का वजन कम होता है, वुफछ बच्चे जन्म वेफ समय ही मर जाते हैं। प्रदूषित वातावरण में जन्म लेने वाले बच्चों में डायबिटीज तथा हृदय उत्पन्न रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। समय से पहले पैदा होने वाले बच्चे अविकसित पेफपफड़े वाले होते हैं या अविकसित बच्चों में आगे चलकर अस्थमा की समस्या जल्दी पैदा होती है। प्रदूषण वेफ कारण पुरुषों वेफ शुक्राणुओं का डीúएनúएú भी प्रभावित होता है, जिस कारण बच्चों में विवृफतियाँ पैदा हो जाती हैं।
प्रदूषण और शिशु विकास
जन्म वेफ बाद शिशु बेहद सेंसेटिव होता है। उसवेफ विकास पर उसवेफ पर्यावरण का बड़ा असर पड़ता है। बच्चों वेफ इम्यून सिस्टम तंत्रिका तंत्रा, पेफपफड़ों, मस्तिष्क वेफ विकास पर वायु प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिस हवा में सल्पफर-डाइआॅक्साइड और नाइट्रोजन डाइआॅक्साइड जैसे प्रदूषकों की मात्रा अधिक होती है, उस हवा में साँस लेने से 9 से 11 साल वेफ बच्चों वेफ श्वास तंत्रा वेफ उफपरी भाग में संव्रफमण होने का खतरा बढ़ जाता है। पिछले 30 वर्षों में अस्थमा वेफ मामलों में 40» की बढ़ोतरी हुई है। इस पर किए गए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि थोड़ा सा भी वायु प्रदूषण पेफपफड़ों वेफ सुचारू रूप से कार्य करने में रफकावट डालता है। जिन बच्चों को बचपन से सर्दी और खाँसी की समस्या ज्यादा होती है, व्यस्क होने पर उनवेफ ब्राँकिबल अस्थमा की चपेट में आने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। उससे उसकी एकाग्रता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। यह उनवेफ शारीरिक और मानसिक विकास को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इस कारण बच्चे पढ़़ाई तथा खेल-वूफद में कमजोर रह जाते हैं। प्रदूषण वेफ कारण बच्चे का जीवनकाल भी कम हो जाता है।
ध्वनि प्रदूषण बच्चों वेफ नाजुक कानों को नुकसान पहुँचाता है। ध्वनि प्रदूषण नवजात बच्चों वेफ सुनने की क्षमता पर बुरा असर डालता है। इससे उनका ईयर ड्रम क्षतिग्रस्त होता हैं, जो ध्वनि संवेफत को सुनने में सहायक होता है।
बच्चों की साँस लेने की गति वयस्कांे से अधिक होती है। इस कारण बच्चे वयस्क की अपेक्षा श्वसन में ज्यादा हवा लेते हैं। बच्चे ज्यादातर घर में पफर्श पर खेला करते हैं। वहाँ पर यदि स्वच्छता न हो तो पफर्श पर लगे प्रदूषक बच्चों को बीमार कर देते हैं।
प्रदूषण से बच्चों वेफ बचाव वेफ उपाय
चूँकि बच्चे संवेदनशील होते हैं। अतः प्रदूषण का उन पर वयस्कों की अपेक्षा जल्दी-जल्दी और अधिक नकारात्मक असर पड़ता है। अतः प्रदूषण से बचाव वेफ लिए बच्चों की विशेष वेफयर करनी पड़ती है। बच्चों को प्रदूषण से बचाने वेफ लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- बच्चों वेफ साथ कार में सपफर करते समय कार वेफ शीशे बन्द रखने चाहिए तथा कार को उस रास्ते पर चलाना चाहिए जहाँ ट्रैपिफक जाम कम पाया जाता है।
- बच्चों को अपने साथ बाहर ले जाते समय उनवेफ चेहरे की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। इसवेफ लिए उनवेफ चेहरे पर रूमाल बाँध देना चाहिए तथा आँखों पर चश्मा लगा देना चाहिए।
- सपफर वेफ बाद घर पहुँचने पर बच्चों को नहलाना चाहिए, चेहरा अच्छी तरह सापफ करना चाहिए तथा कपड़े बदलने चाहिए।
- बच्चों को भीड़-भाड़ वाली जगह पर ले जाने से बचना चाहिए।
- घर में एयर प्यूरीपफायर्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
- बच्चों को सुबह वेफ समय पार्वफ या हरियाली वाली जगह पर ले जाएँµ जहाँ उसे ताजी हवा साँस लेने को मिले।
- बच्चों को रोज एक्सरसाइज कराएँ ताकि उनका शरीर स्वस्थ रहे।
- बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाएँ ताकि उनका शारीरिक विकास ठीक से हो तथा उनकी रोगरोधी शक्ति बनी रहे।
बच्चों को बचाएं प्रदूषण से