जल होगा महंगा


जलकल विभाग में गंभीर वित्तीय संकट को देखते हुए राज्य सरकार जल कर बढ़ाने की तैयारी कर रही है। लोगों को पानी महँगा होने की सूचना भले ही कष्टदायी लगें किंतु वुफछ हद तक यह निर्णय सही भी हैं राजधनी लखनउफ सहित कई शहरों में एक दशक से भी ज्यादा समय से जल मूल्य में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। स्वाभाविवक है कि प्रति किलो लीटर पानी की आपूर्ति लागत उससे होने वाली आय से बहुत ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में राज्य सरकार के सामने दो ही विकल्प है। पहला, सरकार घाटा खुद झेले और लोगों को सस्ता पानी देना जारी रखें और दूसरा रास्ता जल कर बढ़ाकर जलकल विभाग की आय बढ़ाने वेफ साथ पानी की बर्बादी को रोकने का संदेश देना भी है। बड़ा तबका ऐसे लोगों का भी है जो पानी का मूल्य नहीं समझते और मीठे पानी को बेदर्दी से बर्बाद करते हैं। इस बड़े तबके को पानी का मोल तभी समझ में आएगा जब उन्हें इसका मूल्य अदा करना पड़ेगा। यह तबका पानी का मोल चुकाने में सक्षम भी है, इसलिए इस वर्ग वेफ  लोगों को बढ़े जलकर से खास दिक्कत नहीं होने वाली। कहते हैं तीसरा विश्वयु( पानी वेफ लिए ही होगा और हम है कि पानी बर्बाद या दूषित करते जा रहे हैं जल और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से जुड़े लोग इस बात से बहुत ज्यादा परेशान है कि सरकारी स्तर पर जल संरक्षण वेफ लिए लगभग न वेफ बराबर ही उपाय हुए हैं। अंधध्ुंध् जल दोहन रोकने वेफ लिए भी सरकारों ने कोई कानून नहीं बनाया है। ऐसे में सरकार का यह कदम अनजाने में ही सही जल संरक्षण वेफ लिए एक उपाय तो है ही। राज्य सरकार को जलापूर्ति संबंध्ी केंद्रीय योजनाओं की शर्तों वेफ तहत जलकल विभाग को आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने वेफ लिए जल मूल्य व प्रयोक्ता प्रभार की दरें तय करनी है। इसलिए भी यह कदम जरूरी है। हालांकि नगर विकास मंत्राी जल कर वेफ लिए मीटर लगाने वेफ पक्ष में नहीं है। इसलिए सरकार को इसवेफ लिए कोई और रास्ता तलाशना होगा। जलकर बढ़ाने से पहले राज्य सरकार को वसूली शत प्रतिशत सुनिश्चित करनी चाहिए। इसमें राजनीति हुई तो समय से कर भरने वाले उपभोक्ताओं का हताश होना तय है। विभाग का लगभग तीस प्रतिशत पानी बर्बाद भी होता है। इस पर भी अंकुश लगना चाहिए।