अब! काले तेल में नहीं तल सकेंगे खाद्य पदार्थ


डॉ० संजीव गुप्ता (एड.)



फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने एक ही तेल में बार-बार खाद्य सामग्री तले जाने पर रोक लगा दी है। समोसे, पूड़ी आदि को एक ही तेल में बार-बार तलने से तेल काला हो जाता है। यह तेल देखने में ही खराब नहीं लगता, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद खतरनाक होता हैघरों में तो यह तेल थोड़ी मात्रा में निकलता है, लेकिन देश में हर साल लाखों मीट्रिक टन खराब तेल निकलता है, जिसे बाजार में खुला तेल कहकर बेच दिया जाता है। होटल, रेस्टोरेंट, कैटरर, हलवाई आदि कम कीमत में मिलने वाले इस तेल का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. आलोक धावन कहते हैं कि बार-बार गर्म करने के कारण तेल का टोटल पोलर कंपाउड (टीपीसी) 25 फीसद से कहीं अधिक हो जाता है. जो इसे जहरीला बना देता है। खासतौर से मांसाहारी भोजन बनाने के बाद बचे तेल में हेक्टोसाइक्लिक अमीन की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, इसके अलावा बार-बार फ्राई करने के बाद बचे तेल में पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो कैंसर का मुख्य कारक माना जाता है। दरअसल, ऐसे तेल से होने वाले नुकसान को देखते हए अब पैकेज्ड फड कंपनियाँ. होटल या फडचेन चलाने वाले किसी भी स्थिति में 25 प्रतिशत से अधिक टीपीसी के ऑयल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। विकराल है समस्या बायोडीजल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और बायो फ्यल डेवलपमेंट बोर्ड के सदस्य संदीप चक्रवर्ती बताते हैं कि समस्या कितनी विकराल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश में हर साल दो लाख 25 हजार मीट्रिक टन वनस्पति तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें से 40 प्रतिशत यानी करीब 90 लाख लीटर ऑयल पैकेज्ड फूड कंपनियों, होटल, बड़ी-बड़ी कैंट इस्तेमाल किया जाता है। लगेगा दो लाख का जुर्माना दो से अधिक बार खाद्य तेल का इस्तेमाल करने वालों पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत दो लाख तक का जर्माना लग सकता है