गुणकारी औषधि: गिलोय


राजकुमारी शर्मा पर्यावरणविद्



बरसात में मच्छर जनित रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। पिछले कुछ सालों में चिकनगुनिया और डेंगू होने पर गिलोय जो के प्रयोग का चलन बढा है। गिलोय औषधीय गुणों वाली एक लता है, जिससे काफी लाभ होता है। गिलोय को बुखार और घातक बीमारियों का रामबाण इलाज माना जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में औषधीय गण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और आपको निरोग रखते हैं। कभी न सूखने वाली लता होने के कारण इसे अमृता कहा जाता है। गिलोय का तना और जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। गिलोय का सेवन रस, पाउडर या कैप्सूल के रूप में किया जाता हैप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह एंटीऑक्सिडेंट का पावर हाउस है, जो झुर्रियों से लड़ने और कोशिकाओं को स्वस्थ और निरोग रखने में अहम भूमिका निभाती है। गिलोय टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने, खून को साफ करने, बीमारियों से लड़ने वाले बैक्टीरिया की रक्षा करने के साथ-साथ मूत्रमार्ग के संक्रमण से भी बचाव करती है। झुर्रियों को रखे दूर गिलोय एक आयुर्वेदिक हर्ब है, जिसका उपयोग एंटी एंजग के रूप में भी किया जाता है। इसके रोजाना सेवन से चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़तीं। दरअसल, गिलोय खून को लगातार साफ करती रहती है, जिस कारण शरीर की कांति बनी रहती है।


बुखार की कारगर दवा र गिलोय लंबे समय से रहने वाले बुखार में बेहद असरदार है। यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी घातक बीमारियों में औषधि का काम करती है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या और लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाती है। इसके सेवन से मलेरिया, वायरल बुखार, कालाजार आदि से बचाव होता है। पाचन में करे सुधार पाचन में सुधार और आंत्र संबंधी समस्याओं के इलाज में गिलोय बहुत फायदेमंद है। रोजाना आधा ग्राम गिलोय के साथ आंवला पाउडर लेने से काफी लाभ होता है। कब्ज के इलाज के लिए इसे गुड़ के साथ लेना चाहिए। डायबिटीज का इलाज गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट के रूप में कार्य करती है और विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में मददगार है। गिलोय का रस रक्त शर्करा के उच्च स्तर को कम करने का काम करता है। बखार में गिलोय का इस्तेमाल __ गिलोय से किसी भी तरह के बुखार का इलाज संभव हैइसके लिए गिलोय के एक फुट लंबे तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर उसे रातभर चार कप पानी में भिगोएँ और सुबह उबाल लें। जब काढ़ा चार कप से एक कप हो जाए, तो उसे छन्नी से छान लें। इस काढ़े को आधा कप सुबह और आधा कप शाम में पिएँ। ऐसा करने से तीन से सात दिनों के अंदर बुखार उतर जाएगा