आपने कई बार सुना होगा कि पानी के बिना हम जी नहीं सकते। पानी के बिना सब सूना है। पर क्या इस बात को महसूस भी किया है? यदि नहीं तो 22 मार्च को आ रहे विश्व जल दिवस पर तुम केवल एक दिन सुबह उठने से लेकर रात को सोते समय तक कब-कब तुमने पानी का इस्तेमाल होते हुए देखा, यह नोट करो। तुम्हें खुद ही समझ आ जाएगा कि पानी कितना जरूरी है। पानी की दुनिया कितनी बड़ी और खुबसूरत है।
पानी अनमोल है। यह कितना जरूरी है, इसका अंदाजा इसी बात से ही लगा सकते हो कि अगर धरती पर पानी नहीं होगा तो न पेड़-पौधे होंगे, न जल की रानी मछली होगी, न शेर होगा, न तोते और गौरैया और न ही मनुष्य। छोटे-छोटे कीड़ों से लेकर बड़े पेड़ों को जीवित रहने के लिए पानी की जरूरत होती है। तुम ऐसा मान सकते हो कि जैसे सांस लेने के लिए हवा जरूरी है, वैसे ही जीने के लिए पानी।
हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है। पानी हमारे शरीर की कोशिकाओं और खुन में होता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। यहां तक कि खना पचाने के लिए भी पानी की जरूरत होती है। साथ ही ऑक्सीजन लेने के लिहाज से भी पानी जरूरी होता है।
पानी की तीन अवस्थाएं होती हैं। ठोस, द्रव और गैस। ठोस पानी को बर्फ कहा जाता है, द्रव अवस्था में पानी हम हर रोज इस्तेमाल करते ही हैं। और जब पानी उबलकर भाँप बनता है या सूर्य की किरणों से वाष्पीकृत होकर ऊपर चला जाता है तो यह उसकी गैस अवस्था होती है। गैस अवस्था ही बारिश होने का कारक बनती है। पृथ्वी में पानी सतह के ऊपर नदियों, झरनों के रूप में मिलता है। सतह के नीचे भी पानी होता है। तुम्हें यह जानकर हैरत होगी कि दुनिया की करीब 90% आबादी को सीधे तौर पर साफ पानी नहीं मिलता है।
18% पानी पीने लायक नहीं
दिल्ली एमसीडी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किया गया 18% पानी पीने लायक नहीं होता है और शहर का हर पांचवां आदमी प्रदूषित पानी पीता है। दिल्ली में करीब 60% घरों में दिल्ली जल बोर्ड का पानी प्रयोग होता है। प्रदूषित पानी पीने से कॉलरा, टायफायड, पीलिया जैसी बीमारियां हो जाती हैं। दिल्ली में औसत रूप से हर व्यत्तिफ़ को पेरिस और एम्सटर्डम की तुलना में अधिक पानी मिलता है। यहां औसतन प्रति व्यत्तिफ़ को 191 लीटर पानी मिलता है, पर उन लोगों को जहां हर समय पानी उपलब्ध होता है, वहीं दिल्ली के कुछ इलाकों में एक दिन में मुश्किल से तीस मिनट पानी मिल पाता है। समाजसेवी और पर्यावरणविद् डॉ- संजय कुमार कहते हैं, ‘इतना पानी पीने के बावजूद अगर पानी की परेशानी है तो उसका कारण पानी का सही वितरण न होना और ज्यादा व्यर्थ होना है।’
पानी से ही गुलजार है कुदरत की खूबसूरती
कहते हैं कि कुदरत ने अपनी खूबसूरती चप्पे-चप्पे पर बिऽेरी है। लहराते पेड़-पौधे हों या कल-कल कर बहते झरने, सभी इस कायनात में चमत्कार की तरह लगते हैं। एक से एक सुंदर दृश्य मन में ताजगी भर देते हैं। दुनिया भर में फैली यह खूबसूरती पानी की वजह से ही है।
जोन्हा फॉल: यह झरना झारऽंड में है। गौतम बुद्ध के नाम पर इस झरने का नाम गौतम धारा पड़ गया। पास ही में यहां दो बौद्ध मंदिर हैं, जो राजा बलदेव राय द्वारा बनवाए गए थे।
आंद्रपल्ली (अतिरापल्ली) फॉल: यह झरना केरल के त्रिशूर जिले में स्थित है। इस झरने की लंबाई 80 फीट है। यह झरना कालकुंडी नदी पर है।
धुंआधार फॉल: मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में यह झरना नर्मदा नदी पर स्थित है। यह जगह मार्बल रॉक के नाम से मशहूर है।
केम्पटी फॉल: मंसूरी का यह फॉल उत्तरांचल का मुख्य आकर्षण है।
वसुधारा फॉल: यह झरना उत्तरांचल के बद्रीनाथ में स्थित है। इसकी ऽूबसूरती देऽते ही बनती है।
दूधसागर फॉल: यह झरना गोवा में स्थित है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसका पानी दूध के समान है। यह मांडवी नदी पर है। यह भारत का पांचवां सबसे लंबा झरना है।
हम बनेंगे जल के रक्षक
ब्रश करते समय पानी का नल बंद रखगे।
पांच मिनट से ज्यादा शावर नहीं चलाएंगे। फव्वारे या टब में बैठकर नहाने से पानी अधिक खर्च होता है, इसलिए ऐसा करने से बचेंगे।
पेंट, थर्मामीटर, कीटनाशक और पारे को नदी, नाले और सीवर में नहीं डालेंगे। इससे न सिर्फ पानी को दोबारा साफ करने में कठिनाई होती है, बल्कि पानी में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्व मिल जाते हैं।
बारिश के पानी को इकट्ठा करके उसका इस्तेमाल गाड़ी धोने या पौधों को देने में करेंगे।
टॉयलेट में पानी की टंकी को आधा दबाएंगे
किसी भी पाइप या नल में से पानी टपक रहा है तो उसको ठीक करवाएंगे।
रीसाइकलिंग से बच सकता है पानी
क्या तुम जानते हो कि अगर गंदे पानी का दोबारा इस्तेमाल किया जाए तो पानी की किल्लत को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। पानी की समस्या को हल करने में रीसाइकलिंग एक बेहतर विकल्प हो सकता है। दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में रीसाइकिल किए गए करीब 255 मिलियन गैलन पानी का प्रतिदिन प्रयोग पीने के अलावा अन्य कामों में भी होता है। कुछ पानी का प्रयोग दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पाेरेशन के द्वारा बसों को धोने और साफ करने में प्रयोग होता है, तो कुछ पानी एनडीएमसी और सीपीडब्ल्यूडी द्वारा हॉर्टकिल्चर के लिए होता है।
बेशकीमती है पानी
पानी अपने कई गुणों के कारण बेहतर होता है। कल्पना कीजिए कि अगर पानी में ये गुण न हों तो क्या हो? अगर पानी के कोहेसिव और एडहेसिव गुण (जिसके कारण अणु आपस में जुड़ते हैं और दूर होते हैं) ऽत्म हो जाएं तो
आईड्रॉप से बूंद नहीं गिरेगी।
डिटर्जेट के इस्तेमाल से उठने वाला झाग भी नहीं उठ सकेगा।
अगर पानी में घुलना बंद हो जाए तो
तुम चाय या कॉफी नहीं पी सकोगे।
साबुन से बर्तन-कपड़े नहीं धुल सकेंगे।
अगर पानी में हटने का गुण न हो तो
नहाने के बाद शरीर नहीं सूऽेगा।
न तो कार के वाइपर काम करेंगे और न ही घर की सफाई के लिए पानी का इस्तेमाल हो पाएगा।
जल का सच
सोलर सिस्टम में धरती एकमात्र ऐसा ग्रह है, जहां पर नदियां और समुद्र हैं और बारिश होती है।
एक व्यत्तिफ़ ऽाने के बिना एक महीने से अधिक जीवित रह सकता है, वहीं पानी के बिना एक हफ्रते से अधिक जीवित रहना मुश्किल होता है।
धरती पर 75 प्रतिशत पानी है।
पृथ्वी का 97 प्रतिशत पानी समुद्रों में है। सिर्फ तीन प्रतिशत पानी का प्रयोग ही पीने के लिए किया जाता है।
एक गैलन पानी 3-7865 लीटर पानी के बराबर होता है।
दुनिया के करीब आधे स्कूलों में साफ पानी उपलब्ध नहीं है।
विश्व की सबसे लंबी नदी नील है।
पानी से बिजली का निर्माण भी किया जाता है। दुनिया में कई हाइड्रॉलिक पावर स्टेशन लगे हैं।
बीते सौ सालों में दुनिया के आधे से अधिक जलाशय गुम हो गए हैं।
तेल की एक बूंद से 25 लीटर पानी पीने लायक नहीं रहता।